Short Essay on 'Dr. Raghuvir Singh' in Hindi | 'Dr. Raghuvir Singh' par Nibandh (200 Words)


डॉ० रघुवीर सिंह

महाराज कुमार 'डॉ० रघुवीर सिंह' का जन्म 23 फरवरी 1908 में मध्य प्रदेश के सीता मऊ में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराजा सर रामसिंह था। उनके पिता मालवा की सीता मऊ रियासत के महाराजा थे।

डॉ० रघुवीर सिंह की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। इसके पश्चात उन्होंने होलकर कॉलेज, इंदौर में उच्च शिक्षा प्राप्त की। आगरा विश्वविद्यालय से उन्होंने एम०ए० तथा एल०एल०बी० की उपाधि प्राप्त की। आगरा विश्वविद्यालय ने ही डॉ० रघुवीर सिंह को 'मालवा में युगांतर' नामक शोध ग्रन्थ पर डी०लिट्० की उपाधि प्रदान की।

मध्य कालीन इतिहास के प्रति डॉ० रघुवीर सिंह को विशेष लगाव था। इतिहास में ही उन्हें डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त हुई। इतिहास के उच्च कोटि के विद्वान होने पर भी उनका हिन्दी साहित्य के प्रति विशेष अनुराग रहा। डॉ० रघुवीर सिंह राज घराने से सम्बंधित होते हुए भी साहित्य साधना के कण्टकाकीर्ण मार्ग पर चले। 13 फरवरी, 1991 को उनका देहांत हो गया।

डॉ० रघुवीर सिंह की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं:
इतिहास विषयक रचनाएं- 'पूर्व मध्य कालीन भारत', 'मालवा में युगांतर', 'पूर्व आधुनिक राजस्थान'
साहित्य रचनाएं- 'शेष स्मृतियां', 'सप्तदीप', 'बिखरे फूल', 'जीवन कण'

डॉ० रघुवीर सिंह एक कुशल चित्रकार, वास्तुशास्त्री, प्रशासक, सैन्य अधिकारी, प्रबुद्ध सांसद, समर्थ इतिहासकार और सुयोग्य हिन्दी साहित्यकार थे। हिन्दी निबंध के क्षेत्र में उनका स्थान सदैव महत्त्वपूर्ण बना रहेगा।

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